और एक दिन उसे सीताराम को बुलवा भेजा | सीताराम सुनते ही राजधानी की और चल पड़ा | उसके साथ उसका बक्सा भी था | अगले दिन सीताराम दरबार में पहुचा और राजा को प्रणाम किया और एक और खड़ा हो गया |