यह बात सुनकर राजा को और दरबारियों को अपनी गलती का अहसास हो गया | राजा ने उठाकर सीताराम को अपने गले लगा लिया और बोले, “धन्य हो तुम सीताराम, तुम्हे पाकर यह धरती भी धन्य हो गई |”