आज मैंने द्वारका का मूड ही कुछ और देखा, चारो तरफ उत्साह, उमंग, जैसे एक नई चेतना द्वारका में मैं अनुभव कर रहा हूं। मैं द्वारकावासियों का ह्दय से अभिनंदन करता हूं। उनका धन्यवाद करता हूं। आज द्वारिका नगरी में जिस काम का आरंभ हो रहा है वो सिर्फ बैट द्वारिका में पहुचने के लिए एक सिर्फ Bridge नहीं हैं। सिर्फ एक ईंट, पत्थर, लोहे से बनने वाली एक संरचनात्मक व्यवस्था है ऐसा नहीं है। ये Bridge बैट द्वारिका की सांस्कृतिक विरासत के साथ उस हजारों साल पुराने नातों को जोड़ने की कड़ी के रूप में आज उसका कार्य हो रहा है।
जब भी मैं बैट आया करता था। और वहां के Bridge को देखता था। निर्मल जल देखता था। पर्यटन की अपार संभावनाएं देखता था। लेकिन भारत सरकार की तरफ से, आप तो जानते हैं भूतकाल में भारत सरकार का गुजरात के प्रति प्यार कैसा था। कितनी कठिनाइयों से हम समय बिताते थे। मुझे बराबर याद है। जब बैट के लोगों की मैं स्थिति देखता था। सूरज ढलने से पहले ही सारे काम पूरे करने पड़ते थे। रात को आवागमन बंद हो जाता था। और वो भी पानी के मार्ग से ही आना-जाना पड़ता था। मजबूरन जिंदगी गुजारनी पड़ती थी। अगर कोई अचानक बीमार हो जाए और उसे अस्पताल पहुंचाना है और अगर वो रात का समय हो तो कितनी दिक्कत होती थी वो मेरे बैट के प्यारे भाई-बहनें भली-भांति जानते है और इसलिए एक ऐसी व्यवस्था जो देशभर से आने वाले यात्रियों के लिए एक बहुत बड़ी सौगात हो।