गोरखपुर। बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की सप्लाई ठप होने के चलते हुई मौतों के मामले में नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) चीफ के पद से हटाए गए डॉक्टर कफील के मामले में नया मोड़ आया है। बता दें कि डॉ. कफील पर एक बालात्कार का मामला भी उछला है। हालांकि इसी मामले से जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिस पर लिखा है कि डॉ. कफील को इस मामले में स्थानीय पुलिस की ओर से क्लिन चिट दे दी गई थी। उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद थे। वायरल पत्र में लिखा है कि जांच में आवेदिका के साथ छेड़छाड़ एवं बलात्कार किए जाने की पुष्टि नहीं हुई है। घटना असत्य, झूठी एवं निराधार है। पत्र के अनुसार डॉ. कफील पर लगाए गए इस आरोप में 3 अप्रैल 2015 को ही फाइनल रिपोर्ट लगा दिया गई थी।
गोरखपुर: डॉक्टर कफील पर लगे बलात्कार के आरोपों का यह है सच!
इससे पहले BRD में ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने से हुई मौतों के दौरान ही डॉ. कफील उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब वो अपने घर से अपने दोस्त डॉक्टरों से से तीन जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे। इतना ही नहीं जब सुबह फिर सूचना मिली कि ऑक्सीजन खत्म हो गया है तो वो 12 सिलेंडर लेकर पहुंचे।
हालात थे ज्यादा खराब तब...
हालात चूंकि ज्यादा बेकाबू थे, इसलिए डॉ. कफील ने एक बार फिर ऑक्सीजन सप्लायरों को फोन लगाया। एक सप्लायर ने नकद भुगतान करने की शर्त पर ऑक्सीजन सिलेंडर देने का बात मान ली। इसके बाद डॉ. कफील ने तुरंत अपने एक कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड देकर रुपए निकालने भेजा। रुपए आने के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई। इन खराब हालातों में डॉ. कफील के प्रयासों की हर किसी ने सराहना की।
गोरखपुर: डॉक्टर कफील पर लगे बलात्कार के आरोप का यह है सच!
इसके बाद कुछ ऐसी जानकारियां समाने आईं जिसने डॉ. कफील को विलेन बना दिया। उन पर आरोप लगा कि मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं। उनपर आरोप है कि वो अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करते थे। मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों और डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की थी कि डॉ. कफील वहां होने वाली हर खरीद में कमीशन लेते थे।